बुधवार, 9 अगस्त 2023

माँ बृजेश्वरी देवी चालीसा - Brajeswari devi chalisa lyrics in hindi

 

                                               माँ बृजेश्वरी देवी चालीसा

                                       


                                                    दोहा

शक्ति पीठ सूभ कांगड़ा बरिजेस्वरी सूभ धाम |

ब्रह्ममा विष्णु ओर शिव करते तुम्हे प्रडम ||

धीयाँ भारू मा आपका ज्योति अखंध स्वरूप |

टीन लोक के प्राडो को देते छाया धूप ||


चौपाई


जय जय गौरी कांगदे वा;ओ | बरिजेस्वरी आमम्बा महाकाली ||

सती रूप का अंश लिया है | नागरकोट मई वाज़ किया है ||


पिन्दडी रूप सूभ दर्शन भारी | चाँदी आसान छवि है नियरी ||

घंटा धुआनी डुआर बाजे | ढोल दपप डमरू संग गाजे ||


राजा जगत सिंग स्वपन दिखाया | कनखल का इतिहास बताया ||

ममतामयी सब भाव दिखाया | पर्वत वाला छेत्रा बताया ||


सभी देवता पूजन आए | लंगर भेरो आनंद पाए ||

डुआरे सिंग आ पहरा देता | सेर का पाँजा दुख हर लेता ||


मंगल आरती पंडित करते | जिससे विघन सारे है हटते ||

धीयानू भक्त ने सिष चड़ाया | दर्शन देकर सिष मिलाया ||


आस पास मंदिर है प्यारे | जिनके दर्शन भाग्या सवरे ||

डाई ओर है तारा मंडर | भूचाल मई रहा वही पर ||


एसी है मा छवि टिहरी | नागरकोट की विपद निवारी ||

चमत्कार कितने मा दिखाए | भारतवासी पूजन आए ||


राजा मानसिंघ भक्त बनाया | मलिन होकर रूप दिखाया ||

मुगल बादशाह तुमको माता माना | महिमा को टुंरी पहचाना ||


सेना लेकर जब भी आया | भक्ति देख मॅट घबराया ||

राजा त्रिलोक चाँद तुमको धीयया | चोपड़ खेली संग महामाया ||


एक बनिया वायपार को आया | नदी बीच नोका जब लाया ||

लगा डूबने मा चिल्लाया | उसका बेड़ा पार लगाया ||


बेहन आपकी जवाला मई | चिंतापुर्णी भी हरसाई ||

चामुंडा से प्रेम तुम्हारा | सक्चा मई तेरा डुआरा ||


कलयुग मई शक्ति कहलाई | सबने पूजा तू सुखदाई ||

वज्रा रूप धार दुस्त सहारे | पापी शक्ति देखके हारे ||


मर्यादा की रक्षा करती | खड़ाग ओर त्रिशूल हो धरती ||

ध्ृम की लाज बचाने वाली | कही संत हो कही विकराली ||


अंधकार के हटती बदल | तेरा है मा सुकछ का आँचल ||

आसवीं चेट नवरात्रा मनु | सांमुख तेरे दर्शन पौ ||


अंनपूर्णा तुम्ही बनी हो | मेरी मॅट ओर पिता तुम्ही हो ||

डुआरे पीपल भोग लगौ | अन्न आपसे पाकर ख़ौ ||


मेकर सकरांति जब आए | मंदिर की शोभा बाद जाए ||

सारी रात मा का पूवूना होता | सारे जागे, कोई ना सोता ||


जहा छिनन्ह, धीयानू का पियारा | तुमने उसको नही विसरा ||

वेरषा मा जब रुककर होती | वेरषा बूँद धीयानू मच धोती ||

खेटे मई हर्याली छाती | सबके मान को जो हरसती ||


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